देश प्रेम का ही सदा, हमको रहे ख़ुमार।।-अशोक खुराना

देशप्रेम का ही सदा, हमको रहे ख़ुमार

गणतंत्र दिवस के अवसर पर नगर पालिका परिषद के प्रांगण में कवि सम्मेलन व मुशायरा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित कवियों व शायरों ने देश प्रेम की रचनाएँ प्रस्तुत कीं, जिन्हें श्रोताओं द्वारा खूब सराहा गया, न.पा. परिषद का प्रांगण श्रोताओं की तालियों से गूँज उठा। कार्यक्रम की अध्यक्षता आशा राठौर ने की । कार्यक्रम का शुभारंभ माँ शारदे के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर व पुष्प अर्पित करके किया गया। सर्वप्रथम माँ सरस्वती की वंदना उज्जवल वशिष्ठ ने व नात-ए-पाक अहमद अमजदी ने पढ़ी। तत्पश्चात महेश मित्र ने पढ़ा-
जिस देश में हमने जन्म लिया जिस देश में हमको मरना है
उस देश के राष्ट्रीय पर्वों का हमको अभिनन्दन करना है।
कार्यक्रम के संयोजक साहित्यकार अशोक खुराना ने पढ़ा –
अपने भारत देश में, अर्थ युक्त त्योहार।
देश प्रेम का ही सदा, हमको रहे ख़ुमार।।
ख़ालिद नदीम ने पढ़ा –
न्यारा वतन सबसे प्यारा वतन,
यह हिन्दोस्ताँ है हमारा वतन।
शैलेन्द्र मिश्रा देव ने पढ़ा –
भूलकर मतभेद चलना भी वतन से प्यार है,
साथ में मिलजुल के रहना भी वतन से प्यार है।
समर बदायूंनी ने पढ़ा –
‘समर’ दिल का हमारे कोई भी ख़ाना नहीं ख़ाली,
हम अपने दिल के हर ख़ाने में हिन्दुस्तान रखते हैं।
अहमद अमजदी ने पढ़ा –
उसको अमृत का है एक धारा वतन
जिसने जीवन में अपने उतारा वतन
शम्सुद्दीन शम्स ने पढ़ा –
ऊँचा तेरा मुकाम है छब्बीस जनवरी,
तुझको मेरा सलाम है छब्बीस जनवरी।
राजवीर सिंह तरंग ने पढ़ा –
भारतवासी करते वंदन, अमर सदा गणतंत्र रहे,
रग-रग में हो लहू वतन का, हर्षित जीवन तंत्र रहे।
डॉ. नासिर ने पढ़ा –
यकजहती के कंदील को रोशन किया जिसने,
उल्फत का कोई दूसरा कंदील नहीं है।
रोशन हैं दो चराग़ वह अशफ़ाक़ और बिस्मिल,
तारीख में ऐसा कोई तमसील नहीं है
इनके अतिरिक्त प्रोफेसर मनवीर सिंह, असरार मुजतर, बालकवि अरुण सिंह, ललितेश ललित, चन्द्रपाल सिंह सरल, डॉ. अरविंद धवल, अक्षत अशेष, मुहम्मद सग़ीर, अमन शर्मा, अय्यूब बदायूनी व जयवीर चन्द्रवंशी आदि ने काव्यपाठ किया।
इस दौरान सभासद अरविंद राठौर सहित नगरपालिका का स्टाफ उपस्थित रहा। कार्यालय अधीक्षक रजनीश शर्मा ने कवियों व शायरों को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन भूराज सिंह लायर ने किया। बताते चलें कि नगर पालिका परिषद में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय पर्वों पर कवि सम्मेलन व मुशायरा जब से साहित्यकार अशोक खुराना के संयोजन में शुरू हुए हैं तब से राष्ट्रीय पर्वों पर देशप्रेम व शहीदों को समर्पित रचनायें ही पढ़ी जाती हैं । कारण यह है कि संयोजक अशोक खुराना द्वारा नगर के कवियों व शायरों से उक्त कार्यक्रमों में देशप्रेम व शहीदों को समर्पित रचनायें ही पढ़ने का अनुरोध किया गया था, जिसको अधिकांशतः कवियों व शायरों ने स्वीकार किया तथा उनके इस विचार की सराहना की गयी।

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